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MP Assembly में अब नहीं बोले जाएंगे 'पप्पू, बंटाधार, ढोंगी' जैसे शब्‍द, 1,110 से ज्‍यादा शब्दों पर लगा Ban

 मप्र विधान सभा (MP Assembly) ने असंसदीय शब्‍द (Unparliamentary Words) , वाक्‍यांश और वाक्‍यों की सूची वाली किताब जारी की है, जिनका उपयोग अब सदन में नहीं किया जा सकेगा. इसमें पप्‍पू, बंटाधार, ढोंगी और चोर जैसे शब्‍द शामिल हैं.

नई दिल्ली: अब मध्‍य प्रदेश (MP) की विधान सभा (Assembly) में पप्‍पू, ढोंगी, बंटाधार जैसे शब्‍द सुनाई नहीं देंगे. सरकार ने इन शब्‍दों समेत कई अपमानजनक शब्‍दों पर प्रतिबंध (Ban) लगा दिया है. 

मानसून सत्र (Monsoon Session) शुरू होने से एक दिन पहले 8 अगस्‍त रविवार को मध्य प्रदेश विधान सभा ने 38 पन्नों की एक पुस्तिका (Booklet) जारी की है. इसमें उन 1100 से ज्‍यादा शब्‍दों और वाक्‍यों का उल्‍लेख किया गया है, जिनका उपयोग अब विधान सभा में नहीं किया जा सकेगा. 

'पप्‍पू' शब्‍द पर भी लगाया प्रतिबंध

पिछले कुछ सालों में राजनीतिक बयानबाजी में जमकर उपयोग किए गए 'पप्‍पू' शब्‍द पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके अलावा मिस्‍टर बंटाधार, ढोंगी जैसे शब्‍दों के उपयोग पर भी अब प्रतिबंध होगा. 

ये वो शब्‍द हैं, जिनका उपयोग अक्‍सर बीजेपी, कांग्रेस के कई वरिष्‍ठ नेताओं पर हमला करने के लिए करती रही है. 

इसमें कई ऐसे शब्‍द भी शामिल हैं, जिनका उपयोग विपक्षी दल सत्‍ताधारी नेताओं के खिलाफ करता रहा है.

 मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा और विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम द्वारा जारी की गई इस पुस्तिका में असंसदीय शब्दों 

(Unparliamentary Words), वाक्यांशों और वाक्यों की पूरी सूची दी गई है. इनमें से अधिकांश शब्‍द, वाक्‍यांश और वाक्‍य हिंदी के ही हैं. इनमें  'ढोंगी', 'निकम्मा', 'भ्रष्‍ट', गुंडे, 'तानाशाह' जैसे शब्‍द शामिल हैं तो 'झूठ बोलना', 'व्याभिचार करना' जैसे वाक्यांश भी शामिल हैं.

ससुर शब्‍द भी है शामिल 

इस बुक को रिलीज करते हुए एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने संसद और राज्य विधान सभाओं में होने वाली गरमागरम बहसों का हवाला देते हुए कहा, 'कई बार ऐसा हुआ है कि इन सदनों में बोलते हुए व्यक्ति भूल जाता है कि उसे इन असंसदीय शब्दों का उपयोग नहीं करना है.'

 

उन्होंने इस पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए विधान सभा की प्रशंसा की और कहा कि इससे सदस्यों को इस मुद्दे को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी. इस बुकलेट में 'ससुर' शब्द बोलने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है, जिसका कथित तौर पर 9 सितंबर, 1954 को सदन में इस्तेमाल किया गया था और फिर उसे रिकॉर्ड से हटा दिया गया था


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